Uttarakhand is ready for the flight of development with the first drone policy
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उत्तराखंड में  पहली बार “ड्रोन नीति” से विकास को मिलेगी नई उड़ान, युवाओं के लिए खुलेंगे रोजगार नए रास्ते

उत्तराखंड आध्यात्मिक ,धार्मिक व्  सांस्कृतिक मान्यताओं को सहेजने के लिए जाना जाता है। लेकिन अब नई टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भी उत्तराखंड विकास की ओर सन्मुख हो गया है। उत्तराखंड की पहली ड्रोन नीति के कार्यान्वयन के साथ, राज्य निवेश और रोजगार के अवसरों में उल्लेखनीय वृद्धि का अनुभव करने के लिए तैयार है।

धामी सरकार ने इस नीति के जरिए एक हजार करोड़ का निवेश किया जाएगा।  इसके अतिरिक्त, पाँच हज़ार नौकरियाँ के अवसर और ड्रोन पायलटों की नियुक्ति व्  राज्य में ड्रोन विनिर्माण और सेवाओं के विकास को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष सब्सिडी देने का प्रावधान किया गया है।

राज्य में ड्रोन निर्माण, अनुसंधान, विकास, प्रशिक्षण, मरम्मत और रखरखाव को  प्रोत्साहित किया जाएगा, विशेष रूप से कृषि, खनन, बुनियादी ढांचे, परिसर निगरानी, ​​​​आपातकालीन प्रतिक्रिया, परिवहन, भू-स्थानिक मानचित्रण, यातायात प्रबंधन व् और कानून प्रवर्तन जैसे क्षेत्रों में भी यह नीति लागू की जाएगी

जानिए “ड्रोन नीति” की खास बातें

  • “ड्रोन नीति” के तहत राज्य में  ड्रोन समिति का गठन किया जाएगा, जिसके अध्यक्ष मुख्य सचिव होंगे। समिति में आईटी, वित्त, योजना और गृह सचिव के साथ-साथ यूसीएडीए के सीईओ, आईटीडीए के निदेशक और ड्रोन कार्यान्वयन के राज्य अधिकारी जैसे सम्मानित सदस्य शामिल होंगे।
  • इसके अतिरिक्त, विशेष आमंत्रित सदस्यों में अन्य महत्वपूर्ण विभागों के सचिव और मुख्य सचिव द्वारा नामित अधिकारी शामिल होंगे।
  • ड्रोन निर्माण उद्योग में 500 करोड़ का निवेश किया जाएगा, साथ ही ड्रोन सेवा क्षेत्र में 500 करोड़ का निवेश किया जाएगा। अनुमानित वार्षिक राजस्व 500 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है।
  • इसके अतिरिक्त, इस पहल से 5000 रोजगार के अवसर पैदा होने और 5000 प्रमाणित ड्रोन पायलट तैयार होने की उम्मीद है।

 

  • ड्रोन सेवा से जुड़े उद्योगों को पहले वर्ष में अधिकतम 10 लाख रुपये, दूसरे वर्ष में 7.5 लाख रुपये और तीसरे वर्ष में अधिकतम 5 लाख रुपये की सब्सिडी मिलेगी। ड्रोन सिस्टम डिजाइन और विनिर्माण इकाइयों को पहले वर्ष में लीज रेंट का 75 प्रतिशत, 20 लाख रुपये तक की सब्सिडी मिलेगी।
  • दूसरे साल में सब्सिडी 50 फीसदी यानी 15 लाख रुपये तक होगी. वहीं तीसरे साल में सब्सिडी 25 फीसदी यानी 10 लाख रुपये तक होगी.
  • स्टार्टअप नीति के अनुसार, 200 करोड़ वेंचर फंड में से 15 प्रतिशत का एक हिस्सा विनिर्माण या सेवा क्षेत्र में काम करने वाले स्टार्टअप को आवंटित किया जाएगा जो ड्रोन से जुड़े हैं।
  • ड्रोन स्कूलों, रिमोट पायलट प्रशिक्षण संगठनों और ड्रोन पाठ्यक्रमों के संचालन के लिए अधिकतम एक करोड़ के निवेश तक 50 प्रतिशत पूंजीगत सब्सिडी प्रदान की जाएगी। इसके अतिरिक्त, ये उद्योग एसजीएसटी की प्रतिपूर्ति के लिए पात्र होंगे।

  • आईटीडीए को ड्रोन निर्माण और ड्रोन सेवा में शामिल उद्योगों को सर्कल रेट से 50 प्रतिशत कम रियायती दर पर जगह आवंटित करने की आवश्यकता होगी। साथ ही इन उद्योगों को एसजीएसटी की प्रतिपूर्ति भी प्रदान की जायेगी।
  • सरकार ने परियोजना के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने में हुए खर्च के लिए 50 प्रतिशत की प्रतिपूर्ति प्रदान करेगी .
  •  जिसकी अधिकतम सीमा पांच लाख रुपये है। एमएसएमई नीति के तहत उन उद्योगों को राहत दी जाएगी जो न्यूनतम 100 करोड़ लोगों को रोजगार देते हैं या सालाना 250 व्यक्तियों को सीधे रोजगार देते हैं।

 

 

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