उत्तराखंड में हुनर की ऐसे अद्भुत खान हैं . यहाँ पर लोग अपने अनोखे टेलेंट से खूबसूरत हैंडीक्राफ्ट का निर्माण करते हैं . आज हम आपको उत्तराखंड के उत्तरकाशी के एक ऐसे व्यक्ति के बारे में बता रहे हैं जो पेड़ों की खराब लकड़ियां या सूखी जड़ों के इस्तेमाल से खूबसूरत हैंडीक्राफ्ट बन रहे हैं और इन ख़राब लकड़ियों अनूठा प्रयोग कर रहे हैं .
संतराम की उम्र 72 वर्ष हैं और अपने परिवार की परंपरा को को इस खूबसूरती हैंडीक्राफ्ट के जरिये आगे बड़ा रहे हैं . संतराम अपने हुनर से पुराणी ख़राब लकड़ियों को इस प्रकार सवारते हैं। की हर कोई इस खूबसूरत हैंडीक्राफ्ट अपना घर सजाने के लिए मजबूर हो जाते हैं ।
पिछले 30 सालों से कर रहे हैं ये काम
उत्तर कशी के रहने वाले संतराम के अनुसार वे इस काम को पिछले 25 से 30 सालों से यही काम कर रहे हैं. संतराम ने बताया कि लकड़ी से हैंडीक्राफ्ट बनाने का काम उनके पुश्तैनी काम है. उनकी कई पीढ़ियों से लकड़ियों से तरह-तरह की खूबसूरत हैंडीक्राफ्ट बनाये जाते हैं .
इसके साथ उनके पूर्वज मंदिरों की और इमारतों के दरवाजे खिड़कियां बनाने का काम भी वे करते थे. विरासत में मिली कला को बचपन में ही सीखने के बाद संतराम भी इसी काम से जुड़ गए।
और फिर लकड़ियों और पेड़ों की खराब जड़ों से सुन्दर सुन्दर सामान बनाने लगे। और आज भी अपने इस खानदानी पारम्परिक हुनर को संजोय हुए हैं ।
सामान की आती है दूर दूर से डिमांड
आपको बता दें संतराम के बांये सामान की डिमांड दूर दूर से आती हैं साथसाथ वे अपने बनाये सामान को जगह-जगह पर प्रदर्शनियों में बेचते हैं जिससे इसकी लोकप्रियता काफी बाद रही है .
लड़की के साथ साथ अब संतराम ने अब बेकार पड़ी पेड़ों की जड़ों को भी इस्तेमाल करना शुरू कर दिया और उनको सजाते हुए खूबसूरत हैंडीक्राफ्ट तैयार करने लगे हैं .
संतराम के अनुसार परंपरागत कला को जीवित रखने के लिए प्रयाश किये जाने चाहिए जिससे उत्तराखंड की लोक कला सुरक्षित रहे और आगे और फूले फले। आज के समय में लकड़ी से बने सजावटी सामानों की खूब डिमांड रहती है .
भले ही कई तरह की नई वस्तुएं बाजार में आई गयी हों, लेकिन दिल्ली जैसे शहरों में आज भी लकड़ियों की वस्तुओं की काफी पसंद की जाती हैं .