Dhoni, former captain of entire Uttarakhand, celebrated Harela with pomp

पूरे उत्तराखंड के साथ पूर्व कप्तान धोनी ने धूम धाम से मनाया हरेला, Instagram पर दी बधाई

पूरा उत्तराखंड क्षेत्र 17 जुलाई को हरेला त्योहार खुशी सौहार्द  से  मनाया गया । हरेला पर स्कूल और सरकारी कार्यालय में सरकारी अवकास घोषित किया था ।  यह  त्यौहार पहाड़ के लोगों और उत्तराखंड के लिए बहुत महत्व रखता है और उत्तराखंड में सावन महीने की शुरुआत का प्रतीक है।

हरेला के दौरान, घर के बुजुर्ग छोटे सदस्यों को आशीर्वाद देते हैं, साथ ही इस पारंपरिक उत्सव के हिस्से के रूप में प्रकृति का सम्मान भी करते हैं। इस शुभ दिन पर भगवान शिव की पूजा की जाती है, और उत्सव राज्य की सीमाओं से परे फैलता है, जिसमें अन्य क्षेत्रों के लोग भी शामिल होते हैं।

पूर्व भारतीय क्रिकेट कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की पत्नी साक्षी धोनी द्वारा साझा की गई एक तस्वीर ने इस  विशेष पर्व पर ध्यान आकर्षित किया है। हरेला की शुभकामनायें देती हुई इस पोस्ट पर सोशल मीडिया पर कुछ ही मिनटों में हजारों लाइक्स आ गए।

उत्तराखंड से नाता

उत्तराखंड के निवासियों को इस बात से निराशा हो सकती है कि महेंद्र सिंह धोनी ने देवभूमि से अपने संबंध को खुले तौर पर स्वीकार नहीं किया है, जबकि उनकी पत्नी साक्षी धोनी अक्सर सोशल मीडिया पर उत्तराखंड की लोक संस्कृति के बारे में पोस्ट साझा करती रहती हैं।

हाल ही में साक्षी ने हरेला के बारे में पोस्ट करते हुए बताया कि उनके परिवार ने भी यह त्योहार मनाया । महेंद्र सिंह धोनी और साक्षी धोनी, जिन्हें पहले साक्षी रावत के नाम से जाना जाता था, 2010 में शादी के बंधन में बंधे।

उनके विवाह समारोह में पहाड़ी रीति-रिवाजों का पालन किया गया और साक्षी को कुमाऊंनी पोशाक पहने देखा गया। आज भी उनकी शादी की तस्वीरें सोशल मीडिया पर छाई रहती हैं।

मूल रूप से हैं अल्मोड़ा के

महेंद्र सिंह धोनी और उनका  परिवार  कई बार छुट्टियों के लिए उत्तराखंड आते है। धोनी का परिवार जब भी उत्तराखंड का जिक्र करता है तो उनके प्रशंसकों को बेहद खुशी होती है। गौरतलब है कि धोनी उत्तराखंड के अल्मोडा जिले के रहने वाले हैं.

भारतीय टीम में शामिल होने से पहले, धोनी को अल्मोडा जाने का अवसर मिला था और तब से, स्थानीय लोग उनकी वापसी का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। साल 2004 में धोनी का परिवार आखिरी बार अपने गांव आया था, जहां उनका जनेऊ संस्कार भी हुआ था.

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