उत्तरकाशी में प्रधान को भारी पड़ी बच्चे की किलकारी, धोना पड़ा प्रधान की कुर्सी से हाथ

उत्तरकाशी के एक गांव में जनसंख्या नियंत्रण से जुड़े दो बच्चों की नीति के उलंघन किये जाने पर ग्राम पंचायत के प्रधान को अपना पद से हाथ धोना पड़ा।

ये मामला उत्तरकाशी की एक ग्राम पंचायत के प्रधान का है जिनके यहाँ तीसरी संतान के जन्म की वजह से उन्हें प्रधान की कुर्सी गंवानी पड़ी।  नौगांव विकासखंड के मसाल गांव के ग्राम प्रधान खेमराज के घर 14 सितंबर 2022 को तीसरे संतान का जन्म हुआ था। जहाँ एक तरफ घर में संतान के आगमन से ख़ुशी थी वहीँ 11 महीनो के भीतर प्रधान को अपनी कुर्सी से हाथ धोना पड़ा।

खेमराज सिंह वर्ष 2019 में मसाल गांव के प्रधान निर्वाचित हुए थे, और उनके यहाँ पहले से दो जीवित संतानें हैं । कीर्तन सिंह ने इस मुद्दे को उठाया और इससे सम्बंधित शिकायत दर्ज कराई थी। खेमराज के पास पहले से प्रत्यय संतानें थीं, जिनके जन्म की पुष्टि होने के बाद उत्तरकाशी के जिला मजिस्ट्रेट ने 14 सितंबर 2022 को खंड विकास अधिकारी की रिपोर्ट के आधार पर ग्राम प्रधान के घर की संतान होने की पुष्टि की थी।

उन्हें उत्तराखंड पंचायती राज अधिनियम 2016 की धारा 138 (1) के तहत ग्राम प्रधान के पद से बर्खास्त कर दिया गया ।

इसी मामले में ग्राम प्रधान मसाल गांव को पंचायती राज अधिनियम के अंतर्गत एक अपील की गयी थी। इस अपील का निस्तारण आदेश 28 अप्रैल 2023 को किया गया था। मुख्य विकास अधिकारी उत्तरकाशी ने जिला पंचायत राज अधिकारी को शिकायतकर्ता कीर्तन सिंह के पत्र पर जांच कर पत्रावली देने के निर्देश दिए थे।

 जिला मजिस्ट्रेट ने किया पद मुक्त

जिला मजिस्ट्रेट अभिषेक रूहेला ने अपने आदेश में यह कहा है कि मुख्य विकास अधिकारी के 13 जुलाई के पत्र में साफ़ तौर पर बताया गया है कि ग्राम प्रधान खेमराज को समय देने के बावजूद उनकी ओर से कोई उत्तर न आना यह साबित करता है कि उन्हें इस मामले में कोई सफाई नहीं देनी है। इसके बाद जिला मजिस्ट्रेट ने ग्राम प्रधान मसाल गांव के पद से खेमराज को हटाने का आदेश दे दिया।

अब तक उत्तराखंड पंचायती राज अधिनियम के तहत कई ग्राम प्रधानों, जिनकी तीन संतानें हैं, उन्हें अपने पद को गंवाना पड़ा है।

 

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