अक्सर हम जीवन की मुश्किलों से हिम्मत हार जाते हैं और हमारा हौसला छोटी से परेशानी से टूट जाता है । लेकिन अपने देश में ऐसे हिम्मत लोग भी हैं जो बड़ी बड़ी मुश्किलों के बाद भी कुछ अच्छा करने से पीछे नहीं हटते और कुछ ऐसा कर जाते हैं जो लोगों के लिए मिसाल बन जाता है ।
आज हम आपको एक ऐसे अनूठी पहल के बारे में बता रहे हैं जो मेरठ के रहनेवाले अमित शर्मा ने की है। आपको बता दें दिव्यांग हैं, लेकिन उन्होंने अपनी इस कमी को अपनी सफलता के आड़े कभी नहीं आने दिया और अपने साथ साथ कई लोगों को आत्मनिर्भरता की राह दिखाई है ।
मेरठ के रहनेवाले अमित शर्मा बताते हैं की उन्होंने नौकरी खोजने की कोशिश की लेकिन सफल नहीं हो पाए । जिसके बाद उन्होंने आत्मनिर्भर जीवन जीने की ठान ली है, इसलिए उन्होंने जनवरी 2020 में ‘पंडित जी किचन’ शुरू किया।
अमित बताते हैं की उन्होंने कई नौकरियों के लिए आवेदन किया था, लेकिन कोई भी उन्हें नौकरी नहीं देता था. तब उनके मन में विचार आया की क्यों न खुद का व्यवसाय शुरू किया जाये जिससे अन्य विकलांग समुदाय की भी मदद हो सके ।
अमित के अनुसार कि उन्होंने खाना खिलाना और वितरण सेवा करने का निर्णय लिया। उन्होंने पता लगाया की ऐसे विकलांग लोग हैं जो प्याज काटने में अच्छे हैं और एक हाथ से काम कर सकते हैं, गाडी चला सकते है । इसलिए, उन्होंने तीन से चार लोगों का एक समूह बनाया और “पंडित जी किचन” शुरू किया। आज इसकी शुरुआत हुए दो साल हो गए हैं।”
अमित एक किचन चलाते हैं जहां वह लोगों को बेहद सस्ते दाम में खाना खिलाते हैं और होम डिलीवरी भी करते हैं. उन्होंने बताया कि कई ऐसे लोग हैं जिन्हें खाना महंगा लगता है, लेकिन यहां विकलांगों को मुफ्त में खाना खिलाया जाता है और कचरा उठाने वालों को सिर्फ दस-बीस रुपये में खिलाया जाता है.
पंडित जी किचन सुबह 10 बजे खुलता है और रात 8 बजे बंद होता है, इसलिए अमित और उनकी टीम सुबह 6 बजे काम करना शुरू कर देती है। अमित चाहता है कि उसके रेस्तरां में और लोग आएं और भोजन करें, इसलिए वह उन्हें बढ़िया भोजन और एक दोस्ताना माहौल के साथ आकर्षित करने की कोशिश करते है।
वह कहते हैं, आदमी कहता है कि काम करते हुए अच्छा लगता है, लेकिन परिणाम नहीं मिलते क्योंकि हमारे प्रति समाज की हीन भावना हमें पीछे खींच रही है।
अमित “पंडित जी किचन” की फ्रेंचाइजी को अन्य जगहों पर भी देखना चाहते हैं ताकि दिव्यांगजनों के अधिक लोगों को नौकरी मिल सके।