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कर्णप्रयाग स्थित 900 साल पुराने उमा देवी मंदिर पर छाया भू-धंसाव का खतरा, कभी भी हो सकती है अनहोनी

उत्तराखंड में हिंदू धर्म के ऐसे कई प्राचीन मंदिर स्थित हैं, जिनका इतिहास सैकड़ों वर्षो पुराना है। उत्तराखंड की धरोहर के रूप में सालों से इन मंदिरों में देश की संस्कृति और विरासत को संजोकर रखा गया है।

लेकिन पिछले कुछ समय से भूस्खलन और भू-धंसाव की घटनाओं में वृद्धि होने के कारण धीरे-धीरे यह ऐतिहासिक धरोहर संकट में आ गयी हैं।  इन्हीं में से एक है कर्णप्रयाग स्थित प्राचीन उमा देवी मंदिर।  जहां पर बद्रीनाथ यात्रा के दौरान यात्री माता उमा के दर्शन अवश्य करते हैं।


उत्तराखंड में बद्रीनाथ राजमार्ग पर कर्णप्रयाग में अपने उत्कृष्ट शिल्प और वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध उमा देवी मंदिर इस समय संकट की स्थिति का सामना कर रहा है।

मंदिर के नीचे और इसके प्रांगण में लगातार भूस्खलन हो रहा है। इन भूस्खलनों को रोकने के लिए उचित उपाय करना अत्यंत महत्वपूर्ण है; अन्यथा, यह ऐतिहासिक मंदिर, जो 900 वर्षों से खड़ा है, दुर्भाग्य से इतिहास के पन्नों में दर्ज हो सकता है।

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कर्णप्रयाग में ऋषिकेश-बद्रीनाथ राजमार्ग के किनारे स्थित उमा देवी मंदिर धार्मिक आस्था के प्रतीक के रूप में बहुत महत्व रखता है। बद्रीनाथ यात्रा पर जाने वाले भक्त भी देवी से आशीर्वाद लेने के लिए इस मंदिर में आते हैं। लेकिन  पिछले 10 दिनों से, मंदिर परिसर के भीतर भूस्खलन की घटनाएं लगातार हो रही हैं।

मंदिर समिति के अध्यक्ष रवींद्र पुजारी ने बताया की इन भूस्खलनों भूस्खलन में होती लगातार वृद्धि के कारण यहां अनहोनी का अंदेशा व्यक्त किया गया है।

मंदिर प्रांगण में बन रहे हैं बड़े-बड़े गड्ढे

आपको बता दें लगातार हो रहे भूस्खलन के कारण प्रांगण में कई बड़े-बड़े गड्ढे बन गए हैं, जिससे मंदिर के अंदर बारिश का पानी घुसने का खतरा पैदा हो गया है। साथ ही मंदिर के सामने लगे बिजली के पोल और फुलवारी दोनों पूरी तरह से डूब गये हैं.

यदि मंदिर की सुरक्षा के लिए शीघ्र उचित कदम नहीं उठाए गए तो यह खतरे में पड़ सकता है। नगर पालिका के अधिशाषी अधिकारी शरुदीप आर्य ने कहा कि जेईई के सहयोग से मंदिर परिसर का गहन निरीक्षण किया जाएगा।

12 वर्ष में होती है माता की ध्यान यात्रा

विश्व कल्याण की कामना के उद्देश्य से मां उमा शंकरी की दिवारा/ध्यान यात्रा हर 12 वर्ष में एक बार होती है। इस पूरी यात्रा के दौरान, उमा देवी प्रयाग जैसे पवित्र तीर्थ स्थलों पर जाकर विभिन्न गांवों में रहने वाले अपने ध्याणियों को आशीर्वाद देती हैं।

 

प्राचीन नागर शैली का है अद्भुत नमूना

 

उमा देवी के इस मंदिर का निर्माण नागर स्थापत्य शैली में किया गया है। मंदिर के ऊपर एक कलश और कमल के आकार का एक सुंदर नक्काशीदार पत्थर है। मंदिर के अंदर भगवती उमा की एक भव्य मूर्ति स्थित है, जो सभी आगंतुकों का ध्यान आकर्षित करती है।

 

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