Badrinath Dham and Hemkund Sahib Yatra News: उत्तराखंड को आपदा के लिए अतिसंवेदनशील माना गया है। यहां बारिश के मौसम में अक्सर सड़कों में यातायात बाधित हो जाता है जिससे मार्गों पर यात्रा करने वाले यात्रियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
इसी क्रम में बद्रीनाथ नेशनल हाईवे पर अक्सर बारिश के दिनों में पहाड़ से गिरने वाला मलवा इकट्ठा हो जाता है जिससे इस मार्ग से यात्रा करने वाले सभी तीर्थयात्रियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
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बदरीनाथ हाईवे उत्तराखंड में स्थित चार धामों में से एक बद्रीनाथ धाम व सिखों के पवित्र स्थल हेमकुंड साहब जाने के लिए सबसे अधिक प्रयोग किया जाता है। इसी मार्ग इसी राजमार्ग के द्वारा उत्तराखंड में स्थित प्रसिद्ध फूलों की घाटी तक का सफर तय किया जाता है। साथ ही एशिया के प्रमुख औली तक पहुंचने के लिए भी यही मार्ग प्रयोग किया जाता है। Badrinath Dham and Hemkund Sahib Yatra News

बनाई जाएगी 90 मीटर लंबी सुरंग
आपको बता दें अक्सर बारिश के मौसम में बद्रीनाथ राजमार्ग यातायात बाधित हो जाता है जिससे यात्रियों को काफी परेशानी होती है। यात्रियों की परेशानी को समाप्त करने के लिए प्रशासन ने बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर पागल नाला के किनारे 90 मीटर लंबी सुरंग बनाने का प्रस्ताव जारी किया है।
इस परियोजना के पीछे मुख्य उद्देश्य विशेष रूप से भारी बर्फबारी के दौरान बद्रीनाथ धाम, फूलों की घाटी, गोविंद घाट, हेमकुंड साहिब और औली जैसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों पर जाने वाले यात्रियों की सुविधा को बढ़ाना है।

इस सुरंग का निर्माण निस्संदेह इन सुरम्य स्थानों की यात्रा करने वालों के लिए एक आसान और सुरक्षित यात्रा में योगदान देगा। बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर पागल नाला पर सड़क बरसात के मौसम में अक्सर बाधित रहती है, जिससे श्रद्धेय बद्रीनाथ धाम की तीर्थयात्रा में बाधा आती है।
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सुगम होगा यातायात
इस सुरंग के निर्माण से तीर्थयात्रियों को बरसात के मौसम में भी भगवान बद्री विशाल के दर्शन के लिए एक सुविधाजनक मार्ग उपलब्ध होगा, जिससे धार्मिक स्थल तक निर्बाध पहुंच सुनिश्चित होगी।
इसके अलावा, यह सुरंग परियोजना बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर एक बड़ी बाधा को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगीऔर वाहनों के सुचारू प्रवाह में बाधा समाप्त हो सकेगी।
पागल नाला पर बरसात के मौसम में यात्रियों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इस अवधि में नाले के उफान पर आने से मलबा और पत्थर सड़क पर गिरने से यातायात बाधित होता है।