राधिका घर बैठे रद्दी पेपर से बन गयी बिज़नेसवुमन , दिव्यांगता को पीछे छोड़ बनाती मनमोहक पेपर डॉल्स

Paper Doll Business: राधिका घर बैठे रद्दी पेपर से बन गयी बिज़नेसवुमन , दिव्यांगता को पीछे छोड़ बनाती मनमोहक पेपर डॉल्स

Paper Doll Business: अगर मन में दृंढ संकल्प हो तो कोई भी काम मुश्किल नहीं होता. ऐसे ही प्रेरणा दे रही  23 वर्षीया राधिका जेए जिन्होंने अपनी शारीरिक कमजोरी को पीछे छोड़ते हुए उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से पेपर डॉल का बिज़नेस शुरू किया है और सोशल मीडिया के माध्यम इसको चलाती हैं ।

तमिलनाण्डू कोयंबटूर के रहने वाली राधिका जब पांच साल की थीं, तब उन्हें हड्डी की बीमारी हो गई थी। इससे उसकी पढ़ाई छूट गई और उनका जीवन कठिन हो गया क्योंकि वह अपने दम पर बाहर नहीं जा सकती थी।

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राधिका का भले ही कोई स्कूल छूट गया हो, लेकिन उन्होंने अपने शौक में दिलचस्पी नहीं खोई। 2016 में अपने शौक से पैसा कमाना शुरू करने के बाद ही उन्हें एहसास हुआ कि उनकी कला को व्यवसाय में बदला जा सकता है। उसने पुराने तरीके से – बहुत सारा पैसा खर्च किए बिना पुराने अखबारों से वॉल हैंगिंग बनाना सीखा।

 

राधिका के भाई के दोस्त ने उन्हें एक अफ्रीकी गुड़िया दिखाई और राधिका को लगा कि यह उनकी रचनात्मकता दिखाने और आत्मनिर्भर बनने का एक अच्छा तरीका है। इसलिए, उन्होंने  पुराने अखबारों से गुड़िया बनाना शुरू किया।

आत्मनिर्भर राधिका ने शारीरिक कमजोरी भूल, पेपर डॉल से बनाई पहचान

कुछ पारंपरिक अफ़्रीकी गुड़ियों में आँखें, नाक और कान जैसी चेहरे की विशेषताएं नहीं होती हैं, और उन्हें कोई भाव बनाने की ज़रूरत नहीं होती है। लोग वास्तव में इन गुड़ियों को पसंद करते हैं, और इसलिए उन्होंने बहुत कम संसाधनों का उपयोग करके इन्हें बनाना शुरू किया।

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 राधिका के पैरों की हुईं कई सर्जरियां

राधिका ने हमें बताया कि पांच साल की उम्र तक चीजें ठीक थीं, लेकिन फिर उनकी सेहत में गिरावट आने लगी। उसने स्कूल जाना बंद कर दिया और घर पर ही रहने लगी। उसके पिता एक स्कूल क्लर्क हैं और उसकी माँ एक गृहिणी है।

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राधिका के पैरों का पहले भी कई बार ऑपरेशन हो चुका है, लेकिन कोई खास फायदा नहीं हुआ। बीमारी के कारण वह काफी मानसिक तनाव में भी थी। उसके बड़े भाई राजमोहन कहते हैं कि 2016 में उन्होंने उसे घर पर ही पढ़ाना शुरू किया। वह बहुत मेहनती है और बड़ी उम्र में परीक्षा पास करने में सक्षम था, जो आसान नहीं था।

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राधिका ने कभी नहीं सोचा था कि वह अपने दम पर जीवनयापन कर पाएंगी, लेकिन उन्हें वास्तव में खुद पर गर्व है क्योंकि वह ऐसे उत्पाद बनाने में सक्षम हैं जो अन्य लोगों को भी आत्मनिर्भर बनाने में मदद करते हैं।

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राधिका ने खुद को कलात्मक रूप से अभिव्यक्त करने का एक तरीका खोज लिया है, जिससे उन्हें जीवन में कई चुनौतियों से पार पाने में मदद मिली है।राधिका स्कूल कॉलेजेस में मोटिवेशनल स्पीकर के रूप में जाती हैं। और छात्रों को जीवन की मुश्कीोलन से लड़ कर कर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित भी करती हैं ।

 

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राधिका विभिन्न भारतीय पारंपरिक परिधानों में गुड़िया बना रही हैं और अखबारों से दीवार की चिमनियां, बाइक, साइकिल और पेन-स्टैंड जैसी चीजें भी बना रही हैं। कभी-कभी, वह अपने ग्राहकों की मांग के आधार पर उत्पाद बनाती है।

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रद्दी अख़बार शुरू किया अपना बिज़नेस

राधिका एक आत्मनिर्भर कलाकार हैं उसने टीवी पर कला और शिल्प शो देखकर बेकार उत्पादों का उपयोग करके चीजें बनाना सीखा। उसने सोचा कि ये सभी चीजें घर पर आसानी से मिल सकती हैं, इसलिए उसने उनसे अलग-अलग उत्पाद बनाने का फैसला किया।

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राधिका ने उन सामग्रियों से कला बनाने के लिए बहुत मेहनत की जो दूसरों को अनुपयोगी लगीं। लेकिन फिर उनके भाई ने उनके उत्पादों का ऑनलाइन प्रचार करना शुरू कर दिया । राधिका अपने काम के जरिये  सुंदर, रंगीन उत्पाद बनाती हैं जिन्हें लोग उपहार या घर की सजावट के रूप में खरीदना पसंद करते हैं।

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वर्तमान में, वह अकेले ही काम करती है, और उसका परिवार उसका समर्थन करता है। उसके उत्पाद चार अलग-अलग चरणों में बनते हैं, पुराने अखबारों, ऐक्रेलिक रंगों और गोंद का उपयोग करके। कभी-कभी एक गुड़िया को बनाने में 4 से 5 घंटे का समय लगता है, लेकिन जब वह एक नए डिजाइन पर काम कर रही होती है, तो इसे पूरा करने में 1 से 2 दिन का समय लग सकता है।

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कितनी होती है कमाई?

राधिका  हर महीने करीब 10 हजार तक  आसानी से कमाती है। वह अपने उत्पादों को ऑनलाइन बेचने और अपनी मदद के लिए कुछ लोगों को काम पर रखने के बारे में भी सोच रही है। उन्हें ये काम शुरू किये हुए अभी एक साल ही हुआ है है, बहुत सारे लोग हर महीने उनसे 40 -50 ऑर्डर करते हैं। कई बार यह संख्या 200 तक भी हो सकती है।

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राधिका जीवन के हर क्षेत्र में अपने रास्ते में आई हर मुश्किल को पार कर सफल रही हैं। उन्हें राज्य के मुख्यमंत्री सहित प्रतिष्ठित संस्थानों से कई सम्मानों से भी नवाजा जा चुका है। एक सफल व्यवसायी बनकर राधिका ने दिखा दिया है कि भले ही हमें बाधाओं का सामना करना पड़े, फिर भी हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं।

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