देवभूमि के दुर्गम पहाड़ी इलाको किसान जंगली जानवरों से परेशान हैं और लोग खेती छोड़कर पलायन कर रहे हैं. वहीं, जो किसान पहाड़ में हैं उनकी फल-सब्जी को जानवर नुकसान पहुंचा रहे हैं. जिसके वजह से उन्हें अपनी खेती में काफी नुक्सान हो रहा है ।
कहते हैं आगे मन में पक्का संकल्प हो तो उम्र का कोई बंधन नहीं होता है । और यदि आप कड़ी मेहनत से हर लक्ष्य को पा सकते हैं । ऐसा ही एक उदहारण दिया नैनीताल के निवासी ‘कीवी मैन’ सगत सिंह ने। इन्होने किसानों को आत्मनिर्भर बनाकर इनकी आय बढाने की ठानी है.
कीवी की खेती करने की शुरुआत
आपको बता दें 88 वर्ष के सगत सिंह ने हर किसान को जानवरों से बचाने की ठान ली और उन्होंने इसके लिए अनोख़ा उपाय ढूंढा । उन्होंने ऐसे फल की खेती करने की सोची जिसकी खेती से किसानों का नुकसान न हो .
फिर सगत सिंह ने कीवी की खेती करने की शुरुआत की और अपने बुलंद हौसलों के सफलता की नयी कहानी लिख दी । और कीवी मैन के नाम से मशहूर हो गए ।
आपको बता दें कीवी एक ऐसा फल है जिसे कोई भी जानवर या पक्षी नहीं खाता है. सगत सिंह का लक्ष्य है कि हर किसान 2 पेड़ कीवी के जरूर लगाएं. निगलाट गांव की सगत सिंह के कठिन मेहनत के कारण आज लोग उन्हें ‘कीवी मैन’ सगत सिंह के नाम से जानते हैं और उनके खेती के इस कार्य में अन्य किसान भी जुड़ रहे हैं.
होती है 2 से 3 लाख की आमदनी
आपको बता दें कीवी की खेती से यहाँ के किसानों को 2 से 3 लाख रुपये की आय हो रही है. वैसे तो कीवी न्यूजीलैंड के फल है और इसको उगाने के लिए 15 हजार फीट की ऊंचाई की आवश्यकता होती है. उत्तराखंड के तलहटी के इलाकों में तभी इस फल की खेती की जा सकती है जब उस स्थान में पाला और ठंड का मौसम हो .
इस कीवी फल की एक विशेष प्रजाति “तोमरी हावर्ड ” की खास बात यह है कि न तो इस फल को लंगूर बंदर और अन्य कोई जानवर खाते हैं व् न ही चिड़िया इस फल को नुकसान पहुंचाती है.
साल में 3 महीने अक्टूबर से दिसंबर के बीच तैयार होने वाली इस कीवी के फसल के भण्डारण की भी समस्या नहीं होती है । कीवी को 2 से 3 महीनों तक ठीक प्रकार से सुरक्षित रखा जा सकता है.