उत्तराखंड के युवा आज देश विदेश में देवभूमि कानाम ऊँचा कर रहे हैं । युवा आज हर क्षेत्र अपने हुनर डंका बजा रहे हैं । हम अपने लेखों के माध्यम से आपको इनसे रूबरू करवाते रहते हैं ।
इसी क्रम में आज हम आपको एक ऐसे युवा से मिलवा रहे हैं जिसने विश्व प्रशिद्ध ऑस्कर अवार्ड में स्थान प्राप्त करके देवभूमि को गौरवंगीत किया है .
हम बात कर रहे हैं पौड़ी के नौगांव के करन थपलियाल की, जिन्होंने पिछले साल, सिनेमैटोग्राफी द्वारा “राइटिंग विद फायर” नामक एक डॉक्यूमेंट्री को ऑस्कर के लिए नामांकित किया गया था। और इस साल “द एलिफेंट व्हिस्पर” को ऑस्कर अवॉर्ड दिया गया है। जिसके लिए उन्होंने काम किया है ।
“द एलिफेंट व्हिस्पर्स” ने इस साल लघु फिल्म वृत्तचित्र के लिए ऑस्कर जीता। इसने पूरी दुनिया में लोगों को भारत पर गर्व महसूस कराया और भारत का गौरव बढ़ाया है।
आपको बता दें कैमरे के पीछे “द एलिफेंट व्हिस्परर्स” में लाल करण थपलियाल ने काफी मेहनत की थी। नेटफ्लिक्स ने “द एलिफेंट व्हिस्परर्स” नामक एक वृत्तचित्र का निर्माण किया गया है । यह कार्तिकी गोंजाल्विस द्वारा निर्देशित और गुनीत मोंगा द्वारा निर्मित है।
कहानी एक हाथी से संबंधित है जिसे छोड़ दिया जाता है और फिर देखभाल करने वालों द्वारा ले जाया जाता है। फिल्म में हाथी और देखभाल करने वाले एक मजबूत बंधन और अटूट रिश्ते को दिखाया गया है ।
करण पौड़ी जिले के नौगांव से हैं। वह वर्तमान में अपने परिवार के साथ दिल्ली में रह रहे हैं, लेकिन उनके पिता भी एक फोटोग्राफर थे। करण द्वारा शूट की गयी डॉक्यूमेंट्री फिल्म “द एलिफेंट व्हिस्परर्स” ने ऑस्कर जीता। करण ने यह डॉक्यूमेंट्री फिल्माकर हमें दिखाया कि वह अपने कैमरे से क्या कमाल कर सकते हैं।
करण ने अपने पिता से कैमरों के बारे में बहुत कुछ सीखा और फिर इस क्षेत्र में अपना करियर बनाने का फैसला किया। उन्होंने फिल्म वृत्तचित्रों के लिए पूरी दुनिया की यात्रा की है, और उनका काम कई बार खबरों में रहा है।
करण को पिछले साल उनकी डॉक्यूमेंट्री राइटिंग विद फायर के लिए ऑस्कर के लिए नामांकित किया गया था, लेकिन वह जीत नहीं पाए। 2018 में, उनकी डॉक्यूमेंट्री द प्रेसिडेंट्स बॉडीगार्ड को नेट जियो पर प्रसारित किया गया था जिसे काफी पसंद किया गया था ,
करण वास्तव में उत्तराखंड से काफी लगाव है और जब भी उसके पास समय होता है तो वे यहाँ आ जाते है। उन्हें उत्तराखंड के परिधान और यहाँ के पहाड़ी खाने का ख़ासा लगाव है ।